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        दीवाली आई रे


दीप जले जगमग दीवाली आई रे
खुशियों की आमद है खूब बधाई रे

लड्डू, बर्फी और जलेबी गरम गरम
खाओ मस्त रहो, नहिं आज मनाही रे

रंगोली से द्वार सजाए अभी अभी
लड़ियाँ लाल हरी छत से लटकाई रे

पूजन की थाली लेकर बैठी हूँ माँ
अँखियाँ रस्ता तकते अब पथराई रे

बेहतर है न चले पटाखे गली गली
कान, फेफड़े देने लगे दुहाई रे

प्रेम प्यार श्रद्धा भक्ति विश्वास लिये
दीवाली का पर्व लगे सुखदायी रे

- विनीता तिवारी
१ नवंबर २०२४
 

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