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       दिया निश्छल प्यार का


तभी असली मजा त्यौहार का हो
दिया हर एक निश्छल प्यार का हो

दिवाली पर न रूठे कोई अपना
दिया इक मान और मनुहार का हो

परस्पर हो सुदृढ़ सौहार्द का पुल
दिया इक व्यक्तिगत व्यवहार का हो

रही जीवन में जिनकी भूमिका, इक
दिया उनके लिए आभार का हो

अतिथियों को उचित सम्मान दें हम
दिया इक शीश नत सत्कार का हो

प्रदूषण से धरा को मुक्त करता
दिया इक प्रकृति के शृंगार का हो

प्रकाशित हो समूचा विश्व जिससे
दिया इक खास अबकी बार का हो

- अमित खरे
१ नवंबर २०२४
 

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