|
|
|
|
अमावस में पूनम |
|
दीपावलि की रात
सजीली अंधकार भागा
अमावस में पूनम जागा
शीत, गुलाबी
चूनर ओढ़े, ठुमक- ठुमककर आई
चंदा की बढ़ती छाया सँग, रोज-रोज गहराई
शिथिल हो गई धूप
कि अम्मा को जाड़ा लागा
बरखा रानी
चली गई तो गरम चदरिया आई
तिल की पट्टी और गजक ने अपनी माँग बनाई
ऊन सलाई चली, रजाई में पड़ता धागा
अमावस में पूनम जागा।
कपड़े बदले
दीवारों ने, आँगन आज नहाया
आले -खिड़की, चौबारों ने, मुखड़ा खूब सजाया
मंगल कलश सजे मंदिर में
धन कुबेर जागा
- सोनम यादव
१ नवंबर २०२३ |
|
|
|
|
|
|
|