अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

   

         अमावस में पूनम


दीपावलि की रात सजीली अंधकार भागा
अमावस में पूनम जागा

शीत, गुलाबी
चूनर ओढ़े, ठुमक- ठुमककर आई
चंदा की बढ़ती छाया सँग, रोज-रोज गहराई
शिथिल हो गई धूप
कि अम्मा को जाड़ा लागा

बरखा रानी
चली गई तो गरम चदरिया आई
तिल की पट्टी और गजक ने अपनी माँग बनाई
ऊन सलाई चली, रजाई में पड़ता धागा
अमावस में पूनम जागा।

कपड़े बदले
दीवारों ने, आँगन आज नहाया
आले -खिड़की, चौबारों ने, मुखड़ा खूब सजाया
मंगल कलश सजे मंदिर में
धन कुबेर जागा

- सोनम यादव
१ नवंबर २०२३
   

अंजुमन उपहार काव्य चर्चा काव्य संगम किशोर कोना गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे रचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है