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दिवाली आई है |
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दीपों का त्योहार
दिवाली आई है
खुशियों का त्योहार
दिवाली आई है
महलों से झोपड़ियों तक
माहौल जश्न का छाया है
आसमान से ज्यों धरती पर
स्वर्ग उतर ये आया है
दिव्य लगे संसार
दिवाली आई है
खेतों से घर आईं फसलें
सबके ही मन चहके हैं
साफ-सफाई, हुई पुताई
सब घर ऑंगन महके हैं
ज्योतित हैं घर-द्वार
दिवाली आई है
पंक्ति-पंक्ति में सजी हुई हैं
सुंदर दीपों की लड़ियाँ
कहीं अनार, चरखी, मस्ताबें
फूट रहीं फुलझड़ियाँ
जगमग पारावार
दिवाली आई है
मिलकर सब दम्पत्ति आज
करते लक्ष्मी का पूजन
जग-मग जग-मग गाँव गली है
हर्षित देखो हैं युवजन
झूम उठे परिवार
दिवाली आई है
खील बताशे और खिलौने
घर-घर बनी मिठाई है
मिट्टी के दीपों से देखो
कैसी रौनक आई है
छाई गजब
बहार
दिवाली आई है
- रामसागर यादव
१ नवंबर २०२३ |
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