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         रोशनी के गीत


रोशनी के गीत गाते हैं
दीप जब जब झिलमिलाते हैं

आ गए त्यौहार के दिन
आरती अगियार के दिन
घर गली आँगन बुहारें
अवनी पर अम्बर उतारें
चाँद तारे मुस्कुराते हैं
दीप जब जब झिलमिलाते हैं

घण्टियों का नाद होगा
मन भरा उन्माद होगा
तम कलुष मन के मिटेंगे
और अंधियारे हटेंगे
हर्ष की लड़ियाँ लगाते हैं
दीप जब जब झिलमिलाते हैं

पुष्प और कंदील लाएँ
द्वार पर तोरण सजाएँ
अल्पनाओं को निखारें
चाँद आँगन में उतारें
रश्मियों के हार लाते हैं
दीप जब जब झिलमिलाते हैं

फल मिठाई की महक हो
फूलझड़ियों की चहक हो
कल्पना साकार होगी
प्रार्थना स्वीकार होगी
देव दीवाली मनाते हैं
दीप जब जब झिलमिलाते हैं

- रमा प्रवीर वर्मा 

१ नवंबर २०२३
   

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