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         दियों का मान


आज दियों का मान बढ़ गया
उन पर रूप शृंगार चढ़ गया

फूट पड़े
अनार के झरने, लगीं कंदीले उड़ान भरने
फुलझड़ियों की छटा निराली, तम के दुख को आई हरने
नाच रही आँगन में रंगोली, तुलसी मैया जगमग होली
सिर पर धरे उछाह की गगरी, फिरें गृहणियाँ डोली-डोली
घट में उनके सागर छलका,
रात अमा उजास गढ़ गया

मंदिर में
मंत्र-घंट ध्वनि बजती, कहीं कुबेर व लक्ष्मी पुजती
विघ्नहर्ता की करें उपासना, जन-जन हृदय आस्था जगती
कहीं भक्त भगवान से बढ़कर, तारनहार पार तटिनी पर
कहीं थे जूठे मीठे बेर, कहीं अयोध्या सजती जी भर
कहीं सत्य फिर सान चढ़ गया
भेदी बन अपमान सह गया

- पूर्णिमा जोशी
१ नवंबर २०२३
   

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