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         आज हम


आओ मन के दीप प्रज्वलित करें
आज हम

पथ पथ अंधियारे फैलें हैं, दिशा दिशा भ्रम हैं
सूरज चांद सितारे सब हैं, पर उजास कम हैं
थके पके मन, डग मग पग को तजें
आज हम

मन मुटाव वैमनस्य दूर हो, शाश्वत मूल्य द्रवित हों
जीवन के इस चक्रव्यूह मे, घिरे नहीं पल्लवित हों
आओ जन मन के समीप हो चलें
आज हम

आपा धापी बहुत हुई, हम भूले हैं अपनो को
धन तृष्णा में भाग रहे, अपनाए हुए सपनों को
आओ मन के साज सुसज्जित करें
आज हम

- कमलेश कुमार दीवान 

१ नवंबर २०२३
   

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