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       ज्योतिमय दीपावली


रौशनी की हर तरफ़ बरसात है
ज्योतिमय दीपावली की रात है

हर तरफ़ लोगों में
इक उल्लास है सब मस्त हैं
हम सभी इस पर्व में
इस दृश्य के अभ्यस्त हैं
रात्रि है, यद्यपि दिवस भी मात है
ज्योतिमय दीपावली की रात है

थी विगत वर्षों में भी
दीपावली की यह बहार
किन्तु अब वातावरण में
है अनोखा ही निखार
ये प्रगति - पथ की हमें सौगात है
ज्योतिमय दीपावली की रात है

हम प्रगति के मार्ग पर
निशि - दिन रहेंगे अग्रसर
प्यार से सँग - सँग चलेंगे
देश के सब हमसफ़र
शत्रु - हृदयों पर यही आघात है
"शून्य" यह दीपावली की रात है

भूपेन्द्र सिंह "शून्य"

१ नवंबर २०२३
   

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