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          आशाओं के दीप


मन-आँगन में आशाओं के, दीप जलाये रखना तुम
मावस हो जितनी अँधियारी, धैर्य बनाये रखना तुम

सपनों की कंदीलें थामे, बस आगे बढ़ते जाना
मंज़िल हो या आतिशबाज़ी, नज़र जमाये रखना तुम

फुलझड़ियाँ, रंगोली, तोरण, जुगनू-दीप सजाये ज्यों
जीवन में त्योहारी खुशियाँ, यूँ ही सजाये रखना तुम

आँखों की चौखट पर आए, स्वप्नों को 'अभिनंदन है'
कहकर, मन के भीतर उनका, वास बनाये रखना तुम

है महत्व हर दीपक का, मैं, तुम, वो, जो भी जलते हैं
जलें उजाले हेतु अब ऐसी, 'रीत' चलाये रखना तुम

- परमजीत कौर 'रीत',

१ नवंबर २०२३
   

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