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         दिये जलते रहें


अपने हाथों न बुझाओ तो दिये जलते रहें
तुम अगर साथ निभाओ तो दिये जलते रहें

घी कहाँ खोजने जाओगे, मिलेगा भी कहाँ
आग पानी में लगाओ तो दिये जलते रहें

दिन ढले पास चले आये मेहरबानी की
दो घडी बैठ भी जाओ तो दिये जलते रहें

इसके पहले कि बुझे लौ, जो हुई है हल्की
जोत से जोत जगाओ तो दिये जलते रहें

टिक न पायेंगे बहुत देर अकेले रह कर
मिल के दीवाली मनाओ तो दिये जलते रहें

- मदन मोहन 'अरविंद'

१ नवंबर २०२३
   

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