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1छोटा दीपक |
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लम्बा पथ
छोटा दीपक था
बड़ा हौसला, नन्हे हाथ
ले प्रकाश का वर्तुल चलता
डरी भयानक, काली रात
जब तक नही जला था दीपक
था माटी, बाती और तेल
भ्रम था एक अँधेरा गहरा
ये तो था बस, मन का खेल
जला दीप और हुई प्रकाशित
दशों दिशाएँ, हुआ उजास
ईर्ष्या, द्वेष, कपट, लालच का
खेल उम्र भर चलता है
भ्रम का जीवन, भ्रम ही जीवन
भ्रम ही जीवन लगता है
आगे का जीवन अनबूझा
दिन मे भी हो, जैसे रात
हार नही मानी तो
रस्ता कैसे भी कट जाता है
चार कदम भी दिखे तो राही
मंजिल तक हो आता है
ज्ञान का दीपक जल जाये तो
हो जाये हर पल उल्लास
- उमेश मौर्य
१ नवंबर २०२० |
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