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     1  दीपमाला जले

दीपमाला जले तो जला ही करे

नित्य हो इस तरह की अमावस यहाँ
भाग जाये अँधेरा न जाने कहाँ
जगमगा जगमगा रात हँसती रहे
दीप के जाल में प्रीति फँसती रहे
स्नेह सम्बन्ध जग का भला ही करे

ठंड स्वागत करे कुनमुनी कुनमुनी
देह में जग उठे झुनझुनी झुनझुनी
मोम सा मन पिघलकर बहे रात भर
प्यार के शब्द कोई कहे बात भर
हाथ कोई मले तो मला ही करे

अल्पना कल्पना से परे हो बनी
यामिनी,कामिनी,भामिनी,स्वामिनी
चौक,आँगन नहायें नवल ज्योति में
छेड़ दे साँस आकाश तक रागिनी
स्वप्न-काजल नयन में पला ही करे
दीपमाला जले तो जला ही करे

- उमा प्रसाद लोधी
१ नवंबर २०२०

 

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