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         रंगोली में सजी दिवाली

नदी किनारे के गाँवों में
जले हुए हैं दीप
रंगोली में सजी दिवाली

हँसते खुशहाली के चरखे
झालर के उपवन में
छोटे छोटे बच्चे खुश हैं
मन के वृंदावन में
तुलसी के पावन पाँवों में
जले हुए हैं दीप
रंगोली में सजी दिवाली

अँधियारों के बीच जगी हैं
तारों जैसी ऑंखें
मदमस्ती में झूम रही हैं
गुरु गुलाब की पाँखें
बरगद की गहगह छाँवों में
जले हुए हैं दीप
रंगोली में सजी दिवाली

एक नया संसार बसा है
संध्या के कमरों में
छिड़ी हुई है एक रागिनी
दीपों की लहरों में
खेत, गली, डीहों, आँवों में
जले हुए हैं दीप
रंगोली में सजी दिवाली

बिजली की टिमटिम में लक्ष्मी
उतर रही हैं अँगना
पहने हैं बाँहों में अनगिन
लड़ियोंवाले कँगना
अद्भुत रौनक है झाँवों में
जले हुए हैं दीप
रंगोली में सजी दिवाली

- शिवानन्द सिंह 'सहयोगी'

१ नवंबर २०२०
 

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