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     1  कुछ ऐसे उजियार करें

आओ अपनी दीवाली को
कुछ ऐसे उजियार करें

मिट जाए भय त्रास की रजनी
प्रेम दया की रीत चले
हर दिल के गह्वर में अब से
मानवता का दीप जले
हो न सका जो आज तलक वो
मिलकर अबकी बार करें

हाथ मिलाकर साथ चलें
दुख दर्द खुदी कम जाएगा
कितना भी घनघोर तमस हो
भोर तलक थम जाएगा
उम्मीदों की डोर पकड़
विपदा का दरिया पार करें

नफ़रत का सल्फास हवा में
चाहे जिसने घोला है
याद रखे इस देश का मौसम
गौतम, गाँधी वाला है
द्वेष की ऐसी गर्द हवा पर
उल्फत की बौछार करें

- शंभू शरण मंडल

१ नवंबर २०२०
 

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