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     1आ गयी देखो दिवाली

आ गयी देखो दिवाली, झिलमिलाती गाँव में
रंग रोगन अल्पनायें, हैं धरा के पाँव में

पुष्पिकाओं से सुशोभित, हर गली हर द्वार है
राह की वीरानियों पर, रौशनी उपहार है
सज गयी चौपाल फिर से, नीम के उस छाँव में
आ गयी देखो दिवाली

बेचने निकलीं दियों को, कुछ कुम्हारन आस ले
रूप, गुड्डे और गुड़िया, टोकरी में खास ले
बुन रहीं सपने सजीले, जिन्दगी की ठाँव में
आ गयी देखो दिवाली

धन मिले वैभव मिलेगा जगमगाती रात को
स्वर्ण आभूषण मिलेंगे नेह के सौगात को
मत लुटाना ये खजाना, तुम कभी भी दाँव में
आ गयी देखो दिवाली

- पुष्प लता शर्मा
१ नवंबर २०२०

 

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