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     1  इक दिया विश्वास का

इक दिया फिर आस का
और इक दिया विश्वास का
हम जलाये द्वार -देहरी पर दिया उल्लास का

फिर उतारें आँगना तारों भरी नीराजना
अल्पनाओं में सजाये फिर नयी सम्भावना
आज फिर ढूँढे पता हम
किरण के आवास का
इक दिया विश्वास का

भटकनो के इन अंधेरों को दिखा दे जो दिशा
राह में ऊषा की अब आये नहीं कोई निशा
नव भोर की उजास सा
इस रुदन में मृदु हास का
इक दिया विश्वास का

तृप्ति में फिर प्यास सा, अनकहे संवाद सा
अनवरत जलता रहे, मन में तुम्हारी याद सा
दर्द के बोझिल पलों में
इक मधुर अहसास का
इक दिया विश्वास का

- मधु शुक्ला

१ नवंबर २०२०
 

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