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       खुशी के दीप

खुशी के दीप जलाओ दिवाली आई है
अँधेरा गम का भगाओ दिवाली आई है

घुले हों रंग रंगोली में प्यार के सारे
हजारों फूल बिछाओ दिवाली आई है

हमारे रामजी बनवास काटकर लौटे
जमीं पे चाँद बुलाओ दिवाली आई है

खुशी का पर्व है रखना नहीं गिले शिकवे
सभी से बैर मिटाओ दिवाली आई है

कहीं अनार तो चकरी कहीं हैं फुलझड़ियाँ
दिये की लड़ियाँ लगाओ दिवाली आई है

न स्वाद जिसका जुबाँ से कभी उतर पाए
मिठाई सबको खिलाओ दिवाली आई है

जमीं क्या आसमां भी आज मुस्कुराएगा
हसीन ख़्वाब सजाओ दिवाली आई है

- रमा प्रवीर वर्मा

१ नवंबर २०२०
 

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