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         दीप की बात कर

   



 

भूल मना अब अंधियारों को
उजियारे का साथ कर
दीप की बात कर

रुका कभी क्या नभ का सूरज
बादल के प्रहारों से
लाँघ अमावस चंदा आता
डरा न पहरेदारों से
राहु-केतु सुर बेसुरे
गीत की बात कर

पग-पग विपदा आन मिलेगी
चिंता चित्त जलाएगी
दुविधा रस्ता रोकेगी पर
आशा धीर बंधाएगी
जीवन की रणनीति में
जीत की बात कर

सुख-दुःख दोनों लिखे हाथ में
अनमिट भाग्य स्याही
फूल-शूल की बगिया में तो
रहेगी आवाजाही
संयम पथ पर चलने की
रीत की बात कर

- शशि पाधा
१ नवंबर २०१८

   

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