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         दीप हैं हम

   



 

दीप हैं हम
दीप हैं हम

तपन अन्तर में छुपाये
रात भर जलते रहे
स्नेह से भरपूर थे पर
तिमिर को खलते रहे
ज्योति के
झरते हुये
अनुगीत हैं हम
दीप हैं हम

सनसनाती हवाओं के
सामने कब हार मानी
बीज तम का मिटाने की
शपथ हमने सहज ठानी
हताशा में
ओज का
संगीत हैं हम
दीप हैं हम

- मधु प्रधान
१ नवंबर २०१८

   

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