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दीप सजे, चौखट मुस्कायी
सबके दिल दीवाली आयी
आतिशबाजी बचपन के संग
लगी कदम से कदम मिलाने
नसीहतों की स्नेहिल छाया
साथ खड़ी उनको दुलराने
धूम-धड़ाकों ने अंबर तक
अपनी उपस्थिति दिखलायी
मिष्टान्नों में भरी भावना
तन से मन तक पहुँच रही है
भेद आज कुछ सुप्त हुए तो
समरसता की गंग बही है
दीवारों ने आज रिझाया
प्रीत वहाँ जमकर किलकायी
सिया-राममय जग ये सारा
सत्य सदा संतों की बानी
लक्ष्मी-गणेश घर-घर आये
हरने जन-जन की परेशानी
रहे अमर सत का उजियारा
किरणों ने इच्छा जतलायी
- कुमार गौरव अजीतेन्दु
१ नवंबर २०१८ |