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सुर दीये के ज्योति बन के
गुनगुनाते हैं
अंधेरा जीत जाते हैं
लाख मन में तम झुलसता,
एक उजियारा हुलसता,
उसी रैना तो सितारे
टिमटिमाते हैं
अंधेरा जीत जाते हैं
दीप आंखों के जले तो,
स्वप्न-ईंधन से पले तो,
आँसुओं के द्वार आशा में
नहाते हैं
अंधेरा जीत जाते हैं
कोई भी मुश्किल डगर हो,
हौसला जो संग अगर हो,
दूर से ही जय के लक्षण
झिलमिलाते हैं
अंधेरा जीत जाते हैं
- गीतिका वेदिका
१ नवंबर २०१८ |