दीप लेकर खड़ी द्वार दीपावली
कर रही तम का संहार दीपावली
प्रेम की स्थापना सत्य की है विजय
और है झूठ की हार दीपावली
नाच चकरी करे और बम कूदते
है पटाखों का संसार दीपावली
बाँध रिश्ते सभी प्रेम की डोर से
झोलियों में भरे प्यार दीपावली
द्वार पर सज रहीं खूब रंगोलियाँ
कर रही घर का’ श्रृंगार दीपावली
बर्फियाँ जम गईं और गूजे बने
है मिठाई का’ भण्डार दीपावली
आगमन रोज लक्ष्मी का’ होता रहे
हो सभी की वजनदार दीपावली
- बसंत शर्मा
१ नवंबर २०१८ |