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दीवाली पर दिये जलेंगे

   



 

बड़ी-बड़ी मूँछों के ऊपर
कुंदरू जैसी नाक
डंडा लेकर रग्धू काका
घुमा रहे हैं चाक

ढेले कूट रही है काकी
लिए मोगरी हाथ
गीली मिट्टी गूँथ रही है
बिट्टो थप्पक थाप

दिये बिकेंगे उन पैसों से
बिट्टो लेगी फ्राक

रग्धू काका के हाथों में
जादू और कमाल
सुन्दर-सुन्दर दिये बनाते
जिनके चिकने गाल

पक जायेंगे आवें में
धधकेगी धीमी आग

दिवाली पर दिये जलेंगे
जगमग होगी रात
धरतीमाता सबको देंगी
खुशियों की सौगात

छूटेंगे फुलझड़ी पटाखे
तड़-तड़ तूम तड़ाक

- रामशंकर वर्मा
१ अक्तूबर २०१७

   

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