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ज्योतिपर्व आया

   



 

जगमग जगमग दीप जल उठे
ज्योति पर्व आया
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तो़ड़ तिमिर के बंधन सारे
आओ खुशी मनाएँ
घर घर में खुशहाली छाए
ऐसे दीप जलाएँ
दीप ज्योति का पर्व धरा पर
स्वर्णिम अवसर लाया
ज्योति पर्व आया

प्राण किये बलिदान देश पर
एक दीप उस द्वारे
एक एक दीपक उस घर में
जहाँ सदा अँधियारे
साथ निभाना है निर्धन का
बनकर उसका साया
ज्योति पर्व आया

एक दीप उस घर पर रखना
जिसने अपना खोया
पूरे वर्ष मनाया मातम
फूट फूट कर रोया
आज उसे भी लगे कि जैसे
उसने भी कुछ पाया
ज्योति पर्व आया

धरती के सब प्राणी खुलकर
झूमें नाचें गाएँ
भूल परस्पर भेदभाव सब
अभिनव पर्व मनाएँ
जीवन में जीवन को समझे
हो कुछ ऐसी माया
ज्योति पर्व आया

- डॉ परशुराम शुक्ल
१ अक्तूबर २०१७

   

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