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दीप
खुशियों के जलाओ
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दीप खुशियों के
जलाओ, आ रही दीपावली
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली
क्या करेगा तम वहाँ, होंगे अगर नन्हें दिये
चाँद-तारों को करीने से, अगर रौशन किये
हार जायेगी अमावस, छा रही दीपावली
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली
नित्य घर में नेह के, दीपक जलाना चाहिए
उत्सवों को हर्ष से, हमको मनाना चाहिए
पथ हमें प्रकाश का, दिखला रही दीपावली
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली
शायरों को शम्मा से, कवियों को दीपक से लगाव
महकते मिष्ठान से, होता सभी को है लगाव
गीत-ग़ज़लों का तराना, गा रही दीपावली
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली
गजानन के साथ, लक्ष्मी-शारदा की वन्दना
देवताओं के लिए अब, द्वार करना बन्द ना
मन्त्र को उत्कर्ष के, सिखला रही दीपावली
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली
- कृष्ण कुमार
१ अक्तूबर २०१७ |
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