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गणपति गणना कर
रहे, सरस्वती के साथ
लक्ष्मी साधक सब दिखें, सबको धन की आस
ज्ञान उपासक कम मिले, खोया बुद्धि विवेक
सरस्वती को पूजते, मानव कुछ ही एक
लक्ष्मी वैभव दे रहीं, वाहक बने उलूक
दोनों हाथ बटोरते, नहीं रहे सब चूक
अविनाशी सम्पति मिले, हंसवाहिनी संग
आसानी से जो मिले, छेड़े आगे जंग
लक्ष्मी हंसा पर चलें, ऐसा हो संयोग
सुखमय भारत देश हो, आये ऐसा योग
जन-जन में सहयोग हो, देश प्रेम का भाव
हे गणेश कर दो कृपा, पार करो अब नाव
हम सबकी ये प्रार्थना, उपजे ज्ञान प्रकाश
दीपों के त्यौहार में, हो सबमें उल्लास
- अम्बरीष श्रीवास्तव
१ अक्तूबर २०१७ |