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आई है दीपावली

   



 

आई है दीपावली, बाँटो खुशियाँ प्यार
दीपक से दीपक जला, दूर करो अँधियार।

लौटे आज अवधपुरी, राम काट वनवास
झूम उठी नगरी सकल, मन में भर उल्लास।

द्वारे रंगोली बनी, मन में भरे उमंग
गणपति घर ले आइये, लक्ष्मी जी के संग।

रिद्धि सिद्धि को साथ ले, घर में करो प्रवेश
बाट तिहारी जोहते, लक्ष्मी और गणेश।

बरसों से है चल रही, अम्बर ये ही रीत
होय बुराई पर सदा, अच्छाई की जीत

रावण सम भाई नहीं, देखो सकल जहान
जिसने बहना के लिए, दे दी अपनी जान

अवधपुरी में आज तो, छाई अजब बहार
बैठी है सारी प्रजा, आँख बिछाये द्वार

नाचो गाओ खूब री, सखी मंगलाचार
आज अवध में हो रहा, पुनः राम अवतार

आज जला सबने दिये, सजा लिए हैं द्वार
ताकि राम के पाँव में, चुभे न कोई ख़ार

अपनी ताक़त पे कभी, करना नहीं गुमान
अंहकार बन छीन ले, ये तो सबके प्राण

छोड़ पटाखे मत करो, पर्यावरण ख़राब
अगली पीढ़ी को सखा, देना हमें जवाब।

- अभिषेक कुमार अम्बर
१ अक्तूबर २०१७

   

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