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साथी दीप जलाना

   



 

अँधियारों की तंग गली में
'सूर्यकांत' बस जाना
साथी दीप जलाना
साथी दीप जलाना

खर की छाजन, माटी के घर
माटी पुती दिवारें
माटी के मानुष माटी से
तन-मन नित्य सँवारें

ड्योढ़ी पर नभ की गंगा
तुम डुबकी मार नहाना

क्वाँरी कन्या के हाथों
ने रच डाली रंगोली
कोरे दीपक की बाती से
मन की मैना बोली

क्या है लिखा भाग्य में मेरे
जल करके मुस्काना

खील बताशे बचपन के सँग
खेलें आँख मिचौनी
बहरे हुए पटाखों से कल
बूढ़े बाबा मौनी

बाबू की सूनी आँखों से
मोती बन बह जाना
साथी दीप जलाना
साथी दीप जलाना

- उमा प्रसाद लोधी
१५ अक्तूबर २०१६
   

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