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जगमग दीप जले

   



 

दीप जले
मंदिर द्वारे, गली चौबारे
जगमग दीप जले
लगे भले

कंदीलों की डोरी बाँधे
धरती अम्बर एक हुए
मंद मंद सा पवन झकोरा
धीमे धीमे ज्योत छुए

अँधियारों के लाँघ के घेरे
तारे पर्वत पार ढले
लगे भले

इन्द्रधनुष छिटकाए सतरंग
अँगना देहरी द्वार सजे
कहीं अल्पना रची रँगोली
मधुर स्वरों में साज बजे

सम्बन्धों की बगिया महके
हास गंध मकरंद पले
लगे भले

माँगें सब वरदान प्रभु से
नेह प्यार आशीष झरे
ना बैरी ना दुश्मन कोई
सुख समता भण्डार भरे

राग द्वेष की गिरी दीवारें
इक दूजे के लगे गले
लगे भले

- शशि पाधा  
१५ अक्तूबर २०१६
   

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