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मीत मैं हूँ दीप

   



 

मीत मैं हूँ दीप
तुम हो रोशनाई
रंग लायेगी हमारी आशनाई

बात पक्की!
चाक आवां से गुजरकर
इस अमावस आऊँगा मेहमान बनकर
चकित होगे देखकर मेरी लुनाई

देह से निकलेगी
मेरी एक सोंधी गंध
जी उठेंगे स्वेद श्रम के सैकड़ों अनुबंध
तेल पड़ते ही तमस देगा दुहाई

मुझे रखना
देश में फैले बिजूकों पर
देहरी चौमास वंचित मूक हूकों पर
टिमटिमाती रौशनी में रास्ता देगा दिखाई.

- राम शंकर वर्मा
१५ अक्तूबर २०१६
   

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