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दीप बन जायें

   



 

अबकी बरस दिवाली में
खुशियों के हम
दीप जलायें।
नेह प्रीत की डोर
बाँध कर
सुंदर वन्दनवार सजायें

मिट जाये सारा अँधियारा
कोने कोने दीप जलायें।
और इक दीप
रख दें सरहद पर
दोनों जग रौशन हो जायें
आबाद रहें वे
आबाद रहें हम
हिल मिल कर
सब ख़ुशी मनायें

काम दीप का
रौशनी देना
आओ आज
दीप बन जायें

- उर्मिला शुक्ल
१५ अक्तूबर २०१६
   

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