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अप्प दीपो भव
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अंधकार
नही मात्र कलंक
है प्रकाश की पूर्णता
एकांत की अभिव्यक्ति
शान्ति का संगीत
एक अवसर
मनन का
नवीन प्रजनन का
चयन करती प्रकृति
स्वयं ये विकल्प
अंध में तृप्ति
मन की गहन वृत्ति
अंधकार
मन का अहं, अधोगामी प्रवृत्ति
सुख दुख, वासना, तृष्णा,
कलह, पीड़ा, रुदन, क्रंदन,
पद प्रतिष्ठा, लाभ - हानि,
यश-अपयश
मन के मेघ
अनवरत बदलते भेष
मन के पीछे रहता स्थिर
जागृति, साक्षी चेतना
का एक दीप विशेष
स्वप्रकाशित तेज
देता एक संदेश
अप्प दीपो भव
दुःखों से परे
सुख का आधार
खुद का जल जाना ही
दीपावली त्योहार
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- उमेश मौर्य
१५ अक्तूबर २०१६ |
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