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पर्व है दीपावली

   



 

है शिकस्ता तीरगी, बेशक अमावस रात है
एक मिट्टी के दिए के हौसले की बात है

ये पटाखे और ये रंगोलियाँ, ये रौनकें
माँ के हाथों की मिठाई, सच बड़ी सौगात है

आज सब बिछड़े परिंदे घौसले में मिल रहे
पर्व है दीपावली या, प्यार की बरसात है

साथ हैं अपने अगर तो ही दिवाली, ईद सब
वरना रोटी की फ़िकर है, और दिन है रात है

मिट्टी है तो थाम लेगी, पेड़ हो या ज़िन्दगी
बस जड़ों पर रख यकीं तू, तेज़ गर बरसात है

- सुवर्णा शेखर 
१५ अक्तूबर २०१६
   

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