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जले दीप ज्योति

   



 

मन देहरी पर
बाले रखूँ
मन में तेरा उजास लिए

तिमिर घटे
चहुं ओर
ऐसा विश्वास
बनाये रखूँ
मन में तेरा प्रकाश लिए

आँधियों से भी
बुझे नहीं
दीप अनवरत जले
जगता रहे
झंझावात में
टपकती बरसात में
छप्पर छवाए रखूँ
एक तेरा संबल लिए

टिमटिमाते तारे
हुए तिरोहित
अमावस की इस गहन रात्रि में
धन लक्ष्मी का दीप जले
मन में प्रभु विश्वास लिए

- मंजुल भटनागर
१ नवंबर २०१५

   

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