दीपों
की लड़ी
जोड़ती चली आई
युगों की कड़ी
ला दो मारुति
संजीवनी कहीं से
मूर्छित युग
सोने में ढाले
सरयू का प्रवाह
दीपदान को
राम को जीत
सीता को मन भाई
पृथ्वी की गोद
जलने दो लौ
भाँप लिया दीप ने
मन का तम
लौ के झरने
तू भी बहा ले चाँद
दीवाली मना
-अश्विनी कुमार विष्णु
०००
दीयों में तम
कुम्हार की दीवाली
महँगा तेल
-मंजु शर्मा
०००
दीप पर्व है
जब जगमग हों
मन के दीप
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
०००
नन्हें बच्चों सी
मचलें दीवाली में
दीपों की बाती
-बुशरा तबस्सुम
०००
झुग्गी के दीये
उदास से हैं दिखे
मंहगा तेल
-राम निवास बाँयला
०००
कौन हँसा ये
फूटीं फुलझड़ियाँ
जले दीप भी
-शिवजी श्रीवास्तव
०००
दीप लिखेगा
उजाले की कहानी
दीप पर्व में
--महेंद्र वर्मा ''धीर''
०००
दीप लघु हूँ
अंधेरों को पीता हूँ
तन्हा जीता हूँ
-डॉ रमा द्विवेदी
००० |
आलोक
पर्व
भर-भर अंजुरी
उजास बाँटे
-डॉ सरस्वती माथुर
०००
हाथ मिलाये
अँधेरे से उजाला
जलाये दीप
-डा० अनिता कपूर
०००
मिट्टी के दीये
समझाते हमेशा
जीव नश्वर
-अलका गुप्ता
०००
भूल गया हूँ
तेल की शुभ गंध
नकली दीप
-नरेन्द्र कल्ला
०००
रूठा जो चाँद
प्रकाश बिखराया
दीप जलाया
-अरुण आशरी
०००
भागने लगी
विशाल तम सेना
दीपों से डर
-उमेश मौर्य
०००
सजे दीवाली
जग मग महल
दुबकी झुग्गी
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
०००
फैला प्रकाश
कुम्हार का सृजन
नन्हा-सा सूर्य
-गुंजन अग्रवाल
०००
निस्वार्थ भाव
लौ से लौ जगमग
माटी का दीप
-शशि त्यागी
०००
खील बतासा
सबको बाँटे अम्मा
अपने दम
-राजेन्द्र मिश्र
१ नवंबर २०१५
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