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वार्ड-रोब से शर्ट निकाली, देख के पत्नी ये बोलीं,
मुझको तो कुछ याद नहीं है ये किसकी दी वाली है।
अपना देना याद नहीं कुछ, मिलना सारा याद मुझे,
पैन्ट - शर्ट दोनों ह़ी अपने मुन्ना की दी वाली
है।
तुम जो साड़ी बढ़िया पहने घर में भी हो सजी-धजी,
याद करो पिछली दीवाली, बिट्टी की दी वाली है।
अम्मा जी के गले चेन है लगती हैं वे सुखी बड़ी
उनको भी यह याद नहीं कि यह मेरी दी वाली है
जिस घर में देकर सब भूलें, मिलना हरदम याद रहे,
उस घर में खुश-हाली हरदम, सदा रहे दीवाली है।
- वी. सी. राय 'नया'
२० अक्तूबर २०१४ |