धनतेरस पर धन के लाले
आँख मूँदकर सो जा काले
सबके द्वार न जाय लक्ष्मी
तू काहे को दीपक बाले
बच्चे रोते रो लेने दे
दे रोटी उनको समझा ले
तेरा हक तो अँधियारे पर
तू क्यों माँगे है उजियाले
सूरज बंद तिजोरी में है
तू न खोल सकेगा ताले
क्या समझेगा इस दुनिया को
आस पास हैं गड़बड़ झाले
- प्रकाश सूना
२० अक्तूबर २०१४ |