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अंकुर प्रकाश के

   



 

प्रकाश को लील लिया झाड़ फानूशों ने,
मुडेरों पै माटी का दियना उदास है।

दमघेटू धुआँ धुंध
फैल गई घर अँगना,
सहम कर छिप गया
मावस का चंदरमा,
टिम टिम लट्टू हैं लोग बजरबट्टू हैं
मेलों में, ठेलों में, बेमन का वास है।

अंधकार कूद रहा
अनय के इशारों पर,
माया की छाया है रेंगते विचारों पर,
फूटेंगे निश्चय ही अंकुर प्रकाश के,
धैर्य के धरातल को पूर्ण विश्वास है।

- रणवीर भदौरिया
२० अक्तूबर २०१४

   

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