आज
मड़ैया में जगमग है
अंगनू सुर में गाता
जागो जागो धरती माता
जागो धरती माता।
तड़के आँगन लीप घरैतिन
पोत चुकी हैं चूल्हा
आज न घुटनों में जकड़न है
चिलक रहा न कूल्हा
छुटका पहने नया अँगरखा
फिरता शोर मचाता।
बड़े परब पर बड़का भी
लौटा परदेस कमा के
लाया है दइमार पटाखे
छुटकी करे धमाके
अरसे बाद खुला है घर में
चहल पहल का खाता।
सजा रखा मीठे पकवानों
से अजिया ने चौका
नकबजनी करना मावस घर
मिला दियों को मौका
अँधियारे को उजियारा
उसकी औकात बताता।
- रामशंकर वर्मा
२० अक्तूबर २०१४ |