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हुए
नगर के गाल गुलाबी
उजियारे से रात नहाई
धवल वसन पहने बस्ती ने
दीप जले दीवाली आई
भाईचारा प्रेम परस्पर
फैलाना है हम को जग में
अंतर मन को चलो बुहारें
रहे न कोई काँटा मग में
आशा के दीपक की लौ से
उर के अंधकार को छाटें
इक्छाशक्ति बढाएँ इतनी
मुश्किल की चट्टाने काटें
उजियारे ने अधियारे पर
विजय ध्वजा अपनी फहराई
दुखदाई हों आगे चलकर
बंद करें बो सभी प्रथाएँ
पर्यावरण प्रदूषित करते
आतिशबाजी नहीं चलाएँ
बम पटाखों की परिधि में
वादर सूक्ष्म जीव जो आते
पल भर की मुस्कान हमारी
किंतु जीव सब प्रान गवांते
जिएँ और जीनें दें सबको
संदेशा हम सब को लाई
बहन बहू बेटी को पूजें
फिर कुबेर की करिये पूजा
लक्ष्मी जी को खुश करने का
अन्य उपाय नहीं है दूजा
रूठों को हम गले लगाकर
चलो मनो मालिन्य मिटाएँ
हमसे आस बँधी है जिनकी
चल, उनको सम्बल दे आएँ
मन में भर उल्लास राम को
अब्दुल देने चला बधाई
- मनोज जैन मधुर
२० अक्तूबर २०१४ |