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१.
वो आकर घर रौशन कर दे
मेरा मन खुशियों से भर दे
जो अब तक था खाली खाली
क्या सखि साजन? नहीं 'दिवाली'
२.
बदन इकहरा है संगीन
वे स्वभाव से हैं रंगीन
उनके संग आतीं शुभ घड़ियाँ
क्या सखि साजन? नहिं 'फुलझड़ियाँ'
३.
सारी रात मचाये शोर
मन करता हो कभी न भोर
रात निराली खुशियों वाली
क्या सखि साजन? नहिं 'दिवाली'
४.
खूब करूँ उसके संग मस्ती
झूम उठे फिर सारी बस्ती
हो जाती है रात उजाली
क्या सखि साजन?नहिं 'दिवाली'
५.
उसकी छबि है सबसे न्यारी
मुझको लगे बहुत ही प्यारी
दे धन धान्य न आये खाली,
क्या सखि साजन?ना 'दीवाली'
६.
अपने संग वो खुशियाँ लाये
धूम धड़ाके खूब मचाये
आ जाए तब मचे खलबली
क्या सखि साजन? न 'दीपावली'
७.
जैसे ही करीब वह आये
तन मन रोमांचित हो जाये
मचे धूम छाये खुशहाली
क्या सखि साजन? नहीं 'दिवाली'
८.
जैसे ही हो उसका आना,
खुशियों का ना रहे ठिकाना,
यादगार वह रात निराली,
क्या सखि साजन? नहीं 'दिवाली'
- हरिओम श्रीवास्तव
२० अक्तूबर २०१४ |