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ख़ुशी, एकता, प्यार का, दीवाली है पर्व।
अपने इस त्यौहार पर, हमें बहुत है गर्व।।
आई है दीपावली, लेकर जगमग रात।
तारों को देने लगी, आतिशबाज़ी मात।।
फुलझड़ियों के बीच में, जलता हुआ अनार।
तनमन जगमग कर रही, चमकीली बौछार।।
धरती की आकाश से, लगी हुई है होड़।
देखो मेरे पास भी, तारे हैं बेजोड़।।
आतिशबाज़ी दीप से, मिला रही है हाथ।
पूनम जैसी हो गई, धवल, अमावस रात।।
घर आँगन तन-मन सभी, चमक रहे हैं आज।
दीवाली को जानिये, त्यौहारों का ताज।।
कोई श्रद्धा पुश्प दे, कोई छप्पन भोग।
स्वागत तेरा लक्ष्मी, करते हैं सब लोग।।
साफ़-सफ़ाई रौशनी, ढेरों हैं पकवान।
दीपमाल का हार है, दीवाली की शान।।
मुफ़लिस की हो झोपड़ी, या राजा का द्वार।
अपनी छटा बिखेरता, दीपों का त्यौहार।।
दीवाली पर कामना, करता हूँ हर साल।
सुख सम्पति सबको मिले, सभी रहें खुशहाल।।
- अनिल जैन
२० अक्तूबर २०१४ |