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ऐसी दिवाली मनाएँगे

   



 

मन के अँधेरे मिटाएँगे हम
ऐसी दिवाली मनाएँगे हम

दीपों से जब जगमगाएगा घर
मन में दिया इक जलायेंगे हम

खुशियाँ मिलेंगी जो उपहार में
मस्ती में फिर खिलखिलायेंगे हम

आपस के शिकवे-गिले भूलकर
त्योहार मिलकर मनायेंगे हम

बच्चों को मेला घुमाते हुए
बचपन में फिर लौट जायेंगे हम

-संजू शब्दिता
२० अक्तूबर २०१४

   

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