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लक्ष्मी को हैं पूजते, हंसवाहिनी संग
दीपों के त्यौहार का, है आलोकित रंग l
दीपों के उजियार ने, किया तिमिर है दूर
दीपमालिका ने भरा, मन- जीवन में नूरl
दीप वर्तिका जब जले, कर दे दिव्य प्रकाश
रहे सितारों से सदा, ज्यूँ रोशन आकाश l
कमला पूजन हम करें, काम करें सब नेक
जन जन को सहयोग दें, पर रख बुद्धि विवेक l
कमला का वैभव लिये, पर्व अनूठा ख़ास
आओ हिलमिल बाँट लें, मन में हो उल्लास l
उत्सव के माहौल में, माँ की जयजयकार
वन्दनवारेँ प्रेम की, जोड़ें मन के तार l
लक्ष्मी रूप प्रकाश का, सरस्वती है साथ
मानव मन इक साथ हों, सभी बढाओ हाथ l
माँ कमला की अर्चना, दीपों का उपकार
इस प्रकाश के पर्व पर, तमस भी गया हार !
-डॉ सरस्वती माथुर
२८ अक्तूबर २०१३ |