चलो सब साथ मिल दीपक जलाएँ
अँधेरा हो जहाँ उसको मिटाएँ
नहीं रह जाय कोई ठोकरें अब
कि राहों में दिपावलियाँ सजाएँ
दया ममता परस्पर स्नेह के ही
सभी रंगों से रंगोली बनाएँ
करें स्वागत सदा सुविचार का हम
भरे उत्साह से लक्ष्मी बुलाएँ
विदा कह दें पटाखों को अभी हम
सभी त्यौहार में खुशियाँ मनाएँ
पुनः राजा हो कोई राम जैसा
यही कर प्रार्थना दीपक जलाएँ
- संजू शब्दिता
२८ अक्तूबर २०१३ |