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घर घर दीप धरें

   



 


वन से लौटे राम श्री, प्रसरित हुआ प्रकाश
सघन अमावस रात में, तम ले अंतिम श्वास !

दीप दीप्त इस रात में, तम की क्या औकात
रोशन हर प्रकोष्ठ हैं, दीये की सौगात !

मनहारी नभ द्दश्य अति, तारों की बारात
धरती छटा अपूर्व पर, दीपों की इस रात !

कमला का स्वागत करें, भजें जतन से नाम,
बंदन तोरण से सजें, अपने अपने धाम !

लक्ष्मी जी की कृपा हो, बनें दीन धनवान
जीवन में आलोक हो, बढे देश की शान !

-ओंम प्रकाश नौटियाल
२८ अक्तूबर २०१३

   

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