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गणपति इतना कीजिये

   



 

गणपति इतना कीजिए, हम सब पर उपकार,
खुशियों से जगमग रहे, यह सारा संसार।
यह सारा संसार, पूजता लक्ष्मी मैया,
करिए भी अब पार, सभी भक्तों की नैया।
हो जाए साकार, आज नयनों का सपना,
बरसे स्नेह अपार, कीजिए गणपति इतना।

विजय सतत हो धर्म की, सहें अधर्मी हार,
ले संदेशा आ गया, दीपों का त्यौहार।
दीपों का त्यौहार, खुशी की खील बिखेरे,
मुदित मिली है रात, महकते मिले सवेरे।
हो मंजिल आसान, हृदय सत्साधन रत हो,
करें प्रार्थना आज, धर्म की विजय सतत हो।

जागेगा भारत अभी, पूरा है विश्वास,
हर सुबह सूरज कहे, रहना नहीं उदास।
रहना नहीं उदास, सृजन की बातें होंगी,
कर में कलम किताब, सरस सौगातें होंगी।
करें दीप उजियार, अँधेरा डर भागेगा,
बहुत सो लिया आज, मेरा भारत जागेगा।

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
२८ अक्तूबर २०१३

   

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