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दुल्हन सी धरती सजी, जगमग है
संसार।
पर्व ज्योति का आ गया, खुशियाँ लिए अपार॥
दीपों की माला खिली, मिली प्रीति से प्रीत।
मौसम सुर में गा रहा, समृद्धि के गीत॥
सब पर्वों में श्रेष्ठ है, दीपों का त्यौहार।
उल्लासित जीवन करे, दीपों का संसार॥
ज्योतिपर्व की रोशनी, ऐसे करे उजास।
रिद्धि-सिद्धि संग लक्ष्मी, घर में करें निवास॥
आशाएँ जगने लगीं, जले ज्ञान के दीप।
अंधियारे से बोल दो, आए नहीं समीप॥
-सुबोध श्रीवास्तव
१२ नवंबर २०१२ |