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दीप धरो
वर्ष २०१२ का दीपावली संकलन

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एक नन्हा दीप



 

एक नन्हा दीप जो
मावस निशा में जल रहा है
है बहुत कुछ कह रहा वो झिलमिला कर
मुस्कुराता सा मेरी दहलीज़ पर जो
बल रहा है

एक नन्हा दीप जो
मावस निशा में जल रहा है

है नहीं यह ज्योति
का बस पुंज, इक सन्देश भी है
जीत की प्रस्तावना है कर्म का आदेश भी है
है अकिंचन, दल रहा पर तिमिर दुष्कर
विषमताओं की चुनौती
भेदता अविरल
रहा है

एक नन्हा दीप जो
मावस निशा में जल रहा है

एक ज्योतित
सार है, आधार है पावन प्रथा है
साधती 'सकार' को आभामयी निर्मल कथा है
पीढ़ियों दर पीढ़ियों पोषित निरंतर
संस्कारों का अलौकिक
चिरंतन संबल
रहा है

एक नन्हा दीप जो
मावस निशा में जल रहा है

-सीमा अग्रवाल
१२ नवंबर २०१२

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