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दीप धरो
वर्ष २०१२ का दीपावली संकलन

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घर घर बिखरी रौशनी



 

घर-घर बिखरी रौशनी, हर मन में उल्लास
घर आए प्रभु राम जी, खत्म हुआ बनवास

आतिशबाजी हो रही, चमका है आकाश
दीपक महके हर जगह, तम का होगा नाश

घर-घर पूजा आरती, राम-राम प्रभु जाप
किरपा हो प्रभु राम की, मिटे सकल संताप

तन मिट्टी का दीप है, आत्मा बाती जान
घट-घट में जो रौशनी, राम इसी को मान

देख गरीबी हँस पड़े, सजे हुए बाजार
खुशियों के इस पर्व पर, महँगाई की मार

मन की सकल अयोध्या, सूनी तुम बिन राम
आन पधारो इक घड़ी, मन को हो आराम

--सतपाल ख़याल
१२ नवंबर २०१२

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